Saturday, September 25, 2010

चाहते रहते प्रभु को सांझ सवेरे

चाहते रहते प्रभु को सांझ सवेरे



चाहते रहते प्रभु को सांझ सवेरे

मिलती है खुशिया हो जो दर्शन तेरे -२

तेरे भक्त बहुत बैचैन -सबको मिल जाये चैन

सबको मिल जाये चैन -तेरे भक्त बहुत बैचैन


इन्द्रों के मुकुटो की, मणियों से रोशन तेरा चेहरा हाय चेहरा हाय

सूरज चाँद का ,रंग है फीका , तेरे आगे आगे शर्माए जाये

तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये भगवन ,पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन

पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन

तेरे भक्त बहुत बैचैन सबको मिल जाये चैन ...........................


जनम जनम से , भव सागर में ,कर्मो ने जकड़ा जकड़ा जकड़ा हाय

तेरी दया का, अब है सहारा , तुने तारा तारा सबको है तारा

तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये भगवन ,पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन

पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन

तेरे भक्त बहुत बैचैन सबको मिल जाये चैन ...........................



रचयिता -राजू बगडा